
देवशयनी एकादशी
🔱 देवशयनी एकादशी क्या है
हिंदू पंचांग के अनुसार, आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवशयनी एकादशी कहा जाता है। यह दिन भगवान विष्णु के योग निद्रा में जाने का प्रतीक है। चार महीने तक भगवान विष्णु क्षीर सागर में शयन करते हैं, जिसे चातुर्मास भी कहा जाता है। इस एकादशी से मांगलिक कार्य जैसे विवाह आदि वर्जित हो जाते हैं।
🗓️ देवशयनी एकादशी 2025 में कब है?
तिथि: 6 जुलाई 2025, मंगलवार
पारण का समय: अगले दिन प्रातःकाल
🪔 इस दिन के 7 शुभ उपाय जो बदल सकते हैं आपकी किस्मत:
1️⃣ तुलसी के पौधे के आगे दीपक जलाएं: तुलसी जी के आगे देसी घी का दीपक जलाने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं।
2️⃣ “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का 108 बार जाप करें: यह मंत्र भगवान विष्णु की कृपा दिलाने वाला है।
3️⃣ पीले फूल और हल्दी से पूजा करें: विष्णु भगवान को पीला रंग प्रिय है।
4️⃣ सात अनाजों का दान करें: इस दिन गरीबों को अनाज दान करने से जीवन की रुकावटें दूर होती हैं।
5️⃣ जल में केसर डालकर स्नान करें: यह उपाय शुभता और समृद्धि लाता है।
6️⃣ शंख से भगवान विष्णु को जल अर्पित करें: यह कार्य दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदल सकता है।
7️⃣ गरीब बच्चों को मिठाई बांटें: यह पुण्य कार्य मां लक्ष्मी की विशेष कृपा दिलाता है।
🌸 व्रत और पूजा विधि:
- प्रातःकाल स्नान कर व्रत का संकल्प लें।
- भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र की स्थापना करें।
- पीले फूल, फल, तिल और पंचामृत से पूजा करें।
- व्रत के दिन एक समय फलाहार लें।
- रात्रि में जागरण और भजन-कीर्तन करें।
- द्वादशी तिथि पर ब्राह्मण या गरीब को भोजन कराकर व्रत पूर्ण करें।
🌼 इस दिन का महत्व:
- इसे हरि शयन एकादशी, पद्मा एकादशी भी कहा जाता है।
- श्रीहरि चार मास तक विश्राम करते हैं।
- ये समय आत्मचिंतन, साधना और संयम का होता है।
- इसे करने से वर्ष भर पुण्य की प्राप्ति होती है।
देवशयनी एकादशी पर व्रत और विशेष उपायों का पालन करके आप भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की विशेष कृपा पा सकते हैं। यह दिन न केवल आध्यात्मिक उन्नति बल्कि भौतिक सुख-समृद्धि का भी मार्ग खोलता है