
Karma Philosophy
जीवन में हम अक्सर सोचते हैं कि अगर कोई पाप या गलती कर ली जाए तो समय के साथ वह मिट जाएगी। लेकिन संत महापुरुष बार-बार यह बताते आए हैं कि कर्म किसी को माफ नहीं करता। हर किए गए कर्म का परिणाम हमें अवश्य भोगना पड़ता है।
इसी गूढ़ सत्य को श्री हित प्रेमानंद गोविंद शरण जी महाराज ने एक प्रेरणादायी कथा द्वारा समझाया।
📖 संत कथा: कर्म का अटल नियम
एक बार एक व्यक्ति महाराज जी के पास पहुँचा और बोला –
“महाराज! मैंने जीवन में बहुत गलतियाँ की हैं। क्या अब मुझे उनका फल भुगतना पड़ेगा?”
महाराज जी मुस्कराए और बोले –
“बेटा, बीज बोने के बाद पौधा उगना निश्चित है। चाहे जल्दी या देर से, लेकिन जो बोया है वही उगेगा। कर्म का फल टल सकता है, लेकिन मिट नहीं सकता।”
उस व्यक्ति ने पूछा – “तो फिर क्या उपाय है?”
महाराज जी ने उत्तर दिया –
“सत्कर्मों का बीज बोओ, भक्ति और सेवा करो। जैसे कांटे पर फूल खिला सकते हो, वैसे ही पिछले पाप कर्मों को भक्ति की शक्ति से कमजोर कर सकते हो।”
✨ श्रीमद्भगवद्गीता का संदेश
गीता में भी भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है —
“कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।”
अर्थात् कर्म करना ही तुम्हारा धर्म है, फल की चिंता मत करो।
लेकिन यह भी सत्य है कि कर्म का हिसाब-किताब बड़ा ही न्यायपूर्ण होता है। जो जैसा करेगा, वैसा पाएगा।
🌿 जीवन के लिए सीख
- किसी के साथ बुरा मत करो, क्योंकि वही बुराई लौटकर आपके पास आएगी।
- सत्कर्म और भक्ति से ही पुराने पाप कर्मों का प्रभाव कम किया जा सकता है।
- कर्म का नियम कठोर है, लेकिन भक्ति और ईश्वर की कृपा से जीवन बदल सकता है।
श्री हित प्रेमानंद गोविंद शरण जी महाराज की यह कथा हमें सिखाती है कि कर्म कभी किसी को माफ नहीं करता। लेकिन अगर हम आज से ही सही दिशा में कदम बढ़ाएँ, सत्कर्म करें, भक्ति करें, तो जीवन में सुख-शांति और ईश्वर का आशीर्वाद निश्चित मिलेगा।