
Sarva Pitru Amavasya
पितृपक्ष (Shradh Paksha) हिंदू धर्म में वह पावन समय होता है जब हम अपने पितरों को याद कर उनकी आत्मा की शांति के लिए तर्पण और पिंडदान करते हैं।
पितृपक्ष का अंतिम दिन सर्वपितृ अमावस्या (Sarva Pitru Amavasya) कहलाता है। यह दिन उन सभी पितरों के लिए होता है जिनका श्राद्ध तिथि अनुसार नहीं कर पाए।
2025 में सर्वपितृ अमावस्या 17 सितंबर, बुधवार को पड़ेगी।
आइए जानते हैं इस दिन कौन-सी बातें ध्यान में रखनी चाहिए ताकि पितर प्रसन्न हों और घर-परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहे।
🌸 सर्वपितृ अमावस्या 2025 का महत्व
- इस दिन किया गया तर्पण, पिंडदान और ब्राह्मण भोज सभी पितरों तक पहुंचता है।
- पितरों का आशीर्वाद मिलने से घर में सुख-शांति, संतान सुख और आर्थिक प्रगति होती है।
- यह दिन विशेषकर उन पितरों के लिए माना जाता है जिनकी मृत्यु तिथि ज्ञात न हो।
✅ पितरों को प्रसन्न करने के उपाय
तर्पण और पिंडदान करें
गंगा, यमुना या किसी पवित्र नदी के तट पर तर्पण करना सबसे उत्तम है।
- ब्राह्मण और गरीबों को भोजन कराएं
पितरों को खुश करने का सबसे सरल और सच्चा उपाय है भूखों को भोजन कराना। - घर में दीपक जलाएं
अमावस्या की रात घर के दक्षिण दिशा में दीपक जलाना शुभ माना जाता है। - सात्विक भोजन करें और पाप कर्मों से बचें
इस दिन लहसुन, प्याज, मांस, शराब जैसी चीज़ों से परहेज करें। - तुलसी और पीपल का पूजन करें
तुलसी और पीपल के वृक्ष में जल चढ़ाकर दीपक जलाने से पितरों की विशेष कृपा मिलती है।
🚫 सर्वपितृ अमावस्या पर क्या न करें
- घर में झगड़ा, क्रोध और अपशब्द का प्रयोग न करें।
- किसी भी जीव-जंतु या पक्षी को नुकसान न पहुँचाएँ।
- नशा, मांसाहार और नकारात्मक कर्मों से दूरी बनाएँ।
सर्वपितृ अमावस्या सिर्फ एक धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि यह अवसर है अपने पितरों को याद करने और उनकी आत्मा की शांति के लिए श्रद्धा व्यक्त करने का।
इस दिन किए गए अच्छे कर्म और दान-पुण्य से न सिर्फ पितर प्रसन्न होते हैं, बल्कि परिवार पर भी उनकी कृपा बनी रहती है।
सर्वपितृ अमावस्या 2025 (17 सितंबर) पर पितरों को प्रसन्न करने के उपाय और सावधानियां जानें। तर्पण, पिंडदान और दान से मिलेगा पितरों का आशीर्वाद।