The Dollar Is Dying
पिछले कुछ सालों से दुनियाभर की खबरों में एक बात लगातार सुनाई दे रही है –
“The Dollar Is Dying” यानी अमेरिकी डॉलर का दबदबा अब घट रहा है।
लेकिन क्या सचमुच डॉलर का साम्राज्य खत्म हो रहा है?
क्या आने वाले समय में डॉलर की जगह कोई और मुद्रा ले सकती है?
आइए जानते हैं विस्तार से –
🌍 क्यों घट रहा है डॉलर का प्रभाव?
- BRICS देशों की चाल – ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन और साउथ अफ्रीका जैसे देश डॉलर की जगह अपनी करेंसी में ट्रेड करने लगे हैं।
- अमेरिका की महँगाई और कर्ज़ – अमेरिका पर बढ़ता कर्ज और मुद्रास्फीति (Inflation) डॉलर को कमजोर कर रहे हैं।
- सोने और क्रिप्टो की ओर रुख – कई देश डॉलर पर निर्भरता कम कर रहे हैं और सोना व डिजिटल करेंसी को रिज़र्व में रख रहे हैं।
- जियोपॉलिटिकल तनाव – रूस-यूक्रेन युद्ध और चीन-अमेरिका टकराव ने डॉलर के भरोसे को कम किया है।
📉 अगर डॉलर गिरा तो असर क्या होगा?
- 🌐 ग्लोबल ट्रेड – दुनिया का सबसे बड़ा ट्रेडिंग करेंसी होने के कारण हर देश प्रभावित होगा।
- 📈 भारत पर असर – रुपए में उतार-चढ़ाव बढ़ेगा, आयात महँगा हो सकता है लेकिन एक्सपोर्टर्स को फायदा भी हो सकता है।
- 🏦 नई करेंसी का उभरना – चीनी युआन, भारतीय रुपया या कोई डिजिटल करेंसी डॉलर की जगह ले सकती है।
🧐 क्या सचमुच डॉलर खत्म हो जाएगा?
🔹 एक्सपर्ट्स का मानना है कि डॉलर पूरी तरह खत्म नहीं होगा,
लेकिन उसका “Absolute Dominance” यानी एकछत्र राज ज़रूर कम हो जाएगा।
🔹 भविष्य में दुनिया मल्टी-करेंसी सिस्टम (कई मुद्राओं का संतुलन) की ओर बढ़ सकती है।
📌 निवेशकों के लिए क्या सबक?
- सिर्फ डॉलर बेस्ड एसेट्स में निवेश करना रिस्की हो सकता है।
- सोना, क्रिप्टो और अन्य करेंसी में भी निवेश करना फायदेमंद होगा।
- भारत जैसे देशों को अपने रुपए को मजबूत बनाने का सुनहरा अवसर मिल सकता है।
“The Dollar Is Dying” कोई सिर्फ साजिश की थ्योरी (Conspiracy Theory) नहीं, बल्कि बदलते समय की हकीकत है।
डॉलर का साम्राज्य अब चुनौती झेल रहा है और आने वाले दशक में दुनिया का आर्थिक संतुलन बिल्कुल बदल सकता है।