Home Motivation & Success विचारों की शक्ति – एक प्रेरणात्मक कहानी

विचारों की शक्ति – एक प्रेरणात्मक कहानी

by mindguru

विचारों की शक्ति – एक प्रेरणात्मक कहानी
एक दिन एक संत जी और उनका एक शिष्य एक बड़े शहर में पहुँचे. उन्हें खाने के लिए भोजन और रात को ठहरने के लिए किसी स्थान की ज़रूरत थी लेकिन उनके पास पैसे नहीं थे. शिष्य को पूरा विश्वास था कि ऐसी अवस्था में उन्हें खाने के लिए भीख मांगनी पड़ेगी और रात को किसी खुले स्थान पर सोना पड़ेगा.
रास्ते में जब वे किसी बगीचे के पास से गुज़र रहे थे तो शिष्य ने गुरु जी से कहा, “गुरु जी! ये देखिए एक बहुत बड़ा बगीचा, हम खुली हवा में यहाँ रात को ठहर सकते हैं.”
गुरु जी ने कहा, “हाँ, शिष्य.”
थोड़ी देर बाद गुरु जी ने कहा, “नहीं, आज रात हम किसी होटल में रुकेंगे और खाना भी वहीं खाएंगे.”
यह सुनकर शिष्य बहुत हैरान हो गया और उसने कहा, “गुरु जी, हमारे पास तो इसके लिए पैसे भी नहीं है.”
गुरु जी ने कहा, “शिष्य, यहाँ आओ और बैठो.”
वे दोनों ज़मीन पर एक वृक्ष की के नीचे बैठ गए.
अब गुरु जी ने कहा, “जब हम अपना पूरा ध्यान (अपनी पाँचों ज्ञानिद्रियों, पाँचों कर्मेन्द्रियों और मन को) किसी एक बात पर लगा देते हैं तो वह बात सच हो जाती है.”
कहने का अर्थ है कि किसी बात पर गहराई से विचार करते समय अपनी पाँचों कर्म इन्द्रियों (हाथ-पैर) को स्थिर करके अगर हम अपनी आँखें, नाक, कान, जिह्वा और त्वचा को भी उस बात की ओर लगा दें तो वह बात सच हो जाती है.
ऐसा कहकर गुरु जी ने अपनी दोनों आँखें बंद की और अपना पूरा ध्यान सिर्फ उस एक बात की तरफ केंद्रित किया. लगभग दस मिनट बाद गुरु जी उठे और अपने रास्ते पर आगे चल दिये. शिष्य भी अपने गुरु जी के साथ चलने लगा. वे कुछ गलियों को पार करने के बाद एक होटल में पहुँचे.
गुरु जी ने शिष्य से कहा, “आओ, अंदर चलें.”
अभी उन्होंने अपने कदम अंदर रखे ही थे कि अचानक एक बहुत अमीर व्यक्ति उनके आगे आकर खड़ा हो गया.
उसने कहा, “मैं इस होटल का manager हूँ. आप कोई पहुँचे हुए संत दिखाई पड़ते हैं. आप बहुत दूर से चलकर यात्रा करते हुए आए हैं, शायद आपके पास पैसे नहीं होंगे. क्या आप हमारी रसोई में काम करेंगे? मैं उसके बदले में आपको खाना दूँगा और रहने के लिए कमरा भी.”
गुरु जी ने कहा, “ठीक है, हम तैयार हैं.”

शिष्य ने गुरु जी से पूछा, “गुरु जी! ऐसा कैसे हुआ? क्या आपके पास कोई जादू है? आपने ऐसा कैसे किया?”
संत जी मुस्कुराए और कहा, “मैं तुम्हें यही बताना चाहता हूँ कि हमारे विचारों की शक्ति किस तरह काम करती है. जब हम अपनी पूरी इच्छाशक्ति और पूरे ध्यान के साथ किसी चीज़ के बारे में सोचते हैं और हमारे मन में उस बात के प्रति तनिक भी संशय नहीं होता, तो वह बात सच हो जाती है. किसी भी बात को सच करने का रहस्य है – उस बात पर पूरा ध्यान लगाना, उसके बारे में सोच-विचार करना, सोचते समय उससे सम्बंधित हर छोटी बात को अपने ध्यान में सच होते हुए देखना, उस बात के सच होने में पूरा विश्वास रखना, और इसमें अपने मन की पूरी इच्छाशक्ति लगाना. जब हमारा मन हर प्रकार के विचार से खाली होता है और जब उसमें सिर्फ एक ही विचार प्रवेश करता है तो उस विचार को हमारे मन की पूरी शक्ति मिल जाती है और वो विचार सच हो जाता है. और यदि एक ही मन में एकसाथ बहुत से विचार चलते रहते हैं तो मन की पूरी शक्ति उन सभी विचारों में बंट जाती है और इस तरह कोई भी विचार सच नहीं हो पाता. इसलिए हम सभी को इस बात के लिए सतर्क रहना चाहिए कि हम क्या सोच रहे हैं. एक समय में एक ही विचार के बारे में सोचने से उस विचार की शक्ति कई गुना बढ़ जाती है और उसका प्रभाव भी. जब हम अपनी सारी शक्ति सिर्फ एक ही विचार या बात पर लगा देते हैं तो कुदरत भी उस कार्य को पूरा करने में लग जाती है.”

शिष्य ने गुरु जी की ओर देखा और कहा, “अच्छा, इसका अर्थ है कि मुझे भी अपने ध्यान की शक्ति (concentration power) को बढ़ाना है. यही अपनी किसी इच्छा को पूरा करने के लिए पहला कदम है.”
दोस्तों! इस कहानी से प्राप्त होने वाली शिक्षा को practically अपने जीवन में उतारने के लिए अपनी किसी एक इच्छा की गहराई में जाने की कोशिश करनी होगी. तो आइये दोस्तों! नीचे दिये लिंक द्वारा कुछ देर के लिए इस दुनिया से दूर हम भी अपनी एक इच्छा को पूरा करने की यात्रा पर चलें. अपनी किसी एक इच्छा को पूरा करने का प्रयास कम से कम 21 दिन तक ज़रूर करें. सफलता आपके मन की दृढ़ इच्छा और आपकी इन्द्रियों के ध्यान पर निर्भर करेगी.
Public Speaking Thoughts

Related Articles

2 comments

Saurabh Prajapati December 11, 2014 - 9:22 am

this story has many significant example! it can be possible by cosmic power!

Reply
Vishvendra Yadav November 6, 2016 - 9:11 am

I m so happy and gratrateful for the blessings which I receive daily from universe.Thank you SANJIV MALIK SIR

Reply

Leave a Reply to Vishvendra Yadav Cancel Reply